बेशर्म सी सुबह
मुंह उठाये चली आती है.
हर रोज़ -
बिना पूछे.
नेपथ्य में एक और दिन बीत जाता है
और उसके साथ ही एक संभावना.
बड़ी अजीब सी दुनिया है यहाँ
जहाँ किश्तों में ही ज़िन्दगी का रंग है
जहाँ तिल तिल कर जीना ही
एकमात्र सच है.
इसलिए बस एकदम ऐसे ही
तिल तिल कर आती है ज़िन्दगी
हर रोज़
बिना बुलाये
मेरे पास
सुबह की बासी उबासी में लिपटी
रात के सपनों का क़र्ज़ उठाये
शायद एक नई उम्मीद की खातिर
या शायद
ज़िन्दगी को जीने का बहाना बनाने.
कौन जाने क्या बला है
हर वह कल वाली सुबह
कल वाला ही दिन
कल वाली ही बात.
गागर में सागर भर दिया तुमने. बहुत खूब :)
ReplyDeleteThanks Kunal...:)
ReplyDelete:)
ReplyDeletehmm..nice
Richa.
पहली बार आपके ब्लॉग पर आया . खूब घूमा . लगभग हर कमरे में झांक लिया . कवियायें - जो आपने हिन्दी में लिखी हैं - विशेष पसंद आयीं . अब आपके घर बार-बार आना पड़ेगा . पता बुकमार्क् कर लिया है . एक सुझाव - please tag your posts .
ReplyDeleteधन्यवाद प्रशांत. अच्छा लगा काफी दिनों बाद अपने ब्लॉग में एक नए चेहरे को देखकर. टैग करने से मैं तात्पर्य नहीं समझ सकी. आप कैसे टैग की बात कर रहे हैं. थोडा स्पष्ट करें
ReplyDeleteTagging means naming the posts , categorising them - hindi poem , english poem , stories , essays . And the tag should be clickable .
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